"शाम"
धुंधलाई सी शाम
यादों के आँचल में,
कुछ यूँ गुनगुनाती है |
की जैसे सपने कई अधूरे
इक उड़न-खटोला लेकर
मुझसे बतियाने आते है |
दिल का दर्द
भरमाई आँखों के
अश्क बयां करते हैं |
कसी बेड़ियों को
तोड़ने को दिल मचलता है,
देख हालत ऐसे
तकदीर भी शरमाती है |
धुंधलाई सी शाम
यादों के आँचल में,
कुछ यूँ गुनगुनाती है |
love u yaar..
ReplyDeleteits nice
gud work yaar
ReplyDeletekeep it up
:)
sahi yar tu to ulti chapuu hai...nice nice...keep it up..my best wishes!!!:):)
ReplyDeleteThanx to you buddies :)
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