Thursday, October 28, 2010

"शाम" 
 


धुंधलाई सी शाम
यादों के आँचल में,
कुछ यूँ गुनगुनाती है |

की जैसे सपने कई अधूरे
इक उड़न-खटोला लेकर
मुझसे बतियाने आते है |

दिल का दर्द
भरमाई आँखों के
अश्क बयां करते हैं |

 कसी बेड़ियों को 
तोड़ने को दिल मचलता है,
देख हालत ऐसे
तकदीर भी शरमाती है |

धुंधलाई सी शाम
यादों के आँचल में,
कुछ यूँ गुनगुनाती है |

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