क्यूँ ?
क्यूँ तुझे दूँ मै राग
अपनी?
क्यूँ तुझे झूले पे बिठाऊँ
?
भीगे चाहे सर्द
के मौसम में,
क्यूँ तेरी और कदम बढाऊँ?
क्यूँ सलामती की खातिर तेरी
,
सर मजारों पे झुकाऊँ ?
जो अछूत माने तू मुझे,
क्यूँ तुझे पानी मै पिलाऊँ?
क्यूँ परवाह करूँ तेरी,
ना इस सच को झुठ्लाऊँ?
आजमाते मुद्दतें गुजरी,
क्यूँ तुझे फिर आजमाऊँ?
क्यूँ दर्द
को रोकूँ तुझसे?
क्यूँ खुद दर्द
में भीग जाऊँ?
जो प्यार तुझे ना मुझसे,
क्यूँ तुझपे मै प्यार लुटाऊँ?
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