अनकहे जज्बात
वक्त-बेवक्त ये आन्हें,
वक्त-बेवक्त ये आन्हें,
इक आरजू इठलाई सी|
बेगैरती इस लबादे मे,
इक चाहत शरमाई सी।
शोखियों में रमी हुई,
कुछ यादें धुंधलाई सी |
बारिश मे प्रत्यक्ष होती
कुछ आँखे भरमाई सी।
सोती अनजानी कोख में
इक तमन्ना सहलाई सी |
दिलो-दिमाग में घर हुई
सोच इक बहकाई सी।
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