कवि की कल्पना
कल्पनाएँ, हकीकत के धरातल पर,
उतरी है, कलम के सहारे,
जब रचे है किसी लेखक-कवि ने,
स्वांग, अद्भुत-विचित्र-न्यारे।
थे बेरंगी मिजाज़ मे गोते लगाते,
हतोत्साहित, ख्वाब कुछ कुँवारे,
जम्हाई लेते, ना राह तकते,
वीरान-म्लान, तट हमारे।
कवि तेरी प्रत्यय-उपसर्ग की क्रीड़ा ने,
अलंकृत कर, ख्वाब है सवारे,
उन्मोदित-हर्षित, पूरवी की राग से,
देखो, पुकारते ये किनारे ।
बेजान-नीरस जिंदगी की जदोजहद मे,
नज़र किये है, कई अहसास प्यारे,
कल्पनाओं ने कवि तेरी, बुने है,
स्वपन, विशिष्ट-मंजुल -प्यारे ।
I'm not very much into poetry, but what you've written is a very nice read. Your hindi vocabulary is quite vast and you've used it aptly.
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